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मन-ही-मन बोला, “अदृष्ट इसी का नाम है। एक दिन जब मैं पटने से बिदा हुआ, तब प्यारी अपने ऊपर के बरामदे में चुपचाप खड़ी थी। उस समय उसके मुँह में जबान ...